श्री महालक्ष्मीचें पद
श्रीसद्गुरु कृष्ण जगन्नाथ भट्ट बांदकरमहाराज.
महालक्ष्मी निज दर्शन दे मज । होय सुख सहज आत्म निरीक्षिणीं ॥म०॥धृ०॥
तूंचि जिवलगा जीवन त्रिजगा । अखंड सुभगा सदसद्विलक्षणी ॥म०॥१॥
असुनि निराकृति चतुर्भुजाकृति । मूर्ति तुझी भजकांसि सुरक्षणीं ॥म०॥२॥
मातुलिंग विज्ञान गदाधृति । खेट निजानुसंधान क्षणक्षणीं ॥म०॥३॥
अद्वय ब्रह्मानंद प्राशन पात्र करीं बिभ्रती श्री कमलेक्षणी ॥म०॥४॥
चतुराय धवती श्री विष्णु युवती । कृष्ण जगन्नाथ पदीं लीन स्वमोक्षणीं ॥म०॥५॥
N/A
References : N/A
Last Updated : January 17, 2018
TOP