दशावताराचें वर्णन
अण्णा जसे शास्त्रविद्येंत निपुण होते, तसेंच श्रौतस्मार्तज्ञकर्मविधींतही अपूर्व निष्णात होते.
पद - दशावताराचें वर्णन (इसतन धनकी) या चालीवर.
शुद्ध बुद्ध परि पूर्ण परात्पर ॥ जय परमेंश्वर उरग शयन कर ॥१॥
प्रलयपयोधौ मीनरूपधर ॥ जय वैवस्वत मुनिहिततत्पर ॥ शु० ॥२॥
सागरमथने कूर्मरूपधर ॥ जय मंदरधर सुरवर सुखकर ॥ शु० ॥३॥
वराह विग्रह जय भूद्धारक ॥ हिरण्याक्ष दितिकुमार मारक ॥ शु० ॥४॥
जयनरसिंह हिरण्याविदाण ॥ प्रल्हाद परित्राण परायण ॥ शु० ॥५॥
जय बटु वामन बलिबंधनकर ॥ शक्रसुखप्रद भुवन मनोहार ॥ शु० ॥६॥
परशुराम जय भृगुकुल दीपक ॥ हैहयघातक क्षत्रकुलांतक ॥ शु० ॥७॥
जय रघुनंदन सीतानायक ॥ रावणकंदन सत्सुखदायक ॥ शु० ॥८॥
जय कृष्ण विभो व्रजपतिपालक ॥ कंसध्वंसक पांडवपालक ॥ शु० ॥९॥
जय बुद्ध विभो असुरविमोहन ॥ योगिकुलेश जिनप्रियनंदन ॥ शु० ॥१०॥
जय कलंकि विभो ब्रम्हाकुलोद्भव ॥ कृतदस्युमय क्षितिपपराभव ॥ शु० ॥११॥
जय सर्वोंत्तम राम रघूत्तम ॥ पंतविठ्ठलप्राणप्रियतम ॥ शु० ॥१२॥
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Last Updated : January 09, 2015
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