भजन
अण्णा जसे शास्त्रविद्येंत निपुण होते, तसेंच श्रौतस्मार्तज्ञकर्मविधींतही अपूर्व निष्णात होते.
रामरघूत्तम सीतानायक ॥ दशरथनंदन सत्सुखदायक ॥
श्रीकृष्ण विभो जयकंसारे ॥ पाहि हरे मामिह संसारे ॥
दत्तराज अवधूत दिगंबर ॥ करुणाकर आत्रेय परात्पर ॥
सांब सदाशिव गिरिजानायक ॥ मृत्यंजय जय भवभय हारक ॥
गरुडघ्वज गोविंद गदाधर ॥ गोकुलपाल दयाल दयाकर ॥
राधाकृष्ण जय कुंजविहारी ॥ मुरलीधर गोवर्धनधारी ॥
मदनमनोहर माधव शौरी ॥ कंसघ्वंसक श्याममुरारी ॥
रघुराज हरे रघुराज हरे ॥ रघुराज हरे भव मे शरणं ॥
रघुराज हेर रघुराज हरे ॥ रघुराज हरे जहि संसरणं ॥
हे रघुनंदन हे रघुनंदन ॥ हे रघुनंदन पालय मां ॥
हे रघुनायक हे सितसायक ॥ हे सुखदायक पालय मां ॥
मन्मथसुंदर भूपपुरंदर ॥ मंदर धारक पालय मां ॥
हे रघुनंदन राक्षसकंदन ॥ रामदयाघन पालय मां ॥
हे रघुनंदन रावणमर्दन ॥ राम जनार्दन पालय मां ॥
केशव माधव रावव वामन ॥ दीन दयाघन पालय मां ॥
गोकुलपालक गोपतिबालक ॥ पांडवश्यालक पालय मां ॥
राम श्यामतनु काममनोरम ॥ परमधाम उद्दामपराक्रम ॥
रामकृष्णा हरे मुकुंदा सच्चित्सुखकंदा ॥ सदासर्वदा बा गोविंदा लागो तुझा धंदा॥
परब्रम्हा परमेश्व्र पंकज नाभ पांडुरंगा ॥ पुरुषोत्तम पुंडरीक पालक पांडवांत रंगा ॥१॥ (इति भजन)
N/A
References : N/A
Last Updated : January 09, 2015
TOP