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सुभग सिंहासन रघुराज राम ।...

भजन - सुभग सिंहासन रघुराज राम ।...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


सुभग सिंहासन रघुराज राम ।

सिर पै सुख पाग लसत हरित मनि सुझलमलत,

मुक्ता जुत कुंडल कपोलनि ललाम ॥

रही है प्रभा फैलि गैलि गैलि अंबर महल,

प्रेम भरी साजैं ताल गति बाद्य बाम ॥

चकित होय निरखत जब वारति हों सरबस तब,

भयो कंप स्वेद सखी बाढ़्यो तन काम ॥

जुगलप्रिया द्रगनि लसी, मूरत मन माहिं बसी,

मूँदरी पै देख्यो जब लिखो राम नाम ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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