राधा-चरनकी हूँ सरन ।
छत्र चक्र सुपद्म राजत, सुफल मनसा करन ॥
ऊर्ध्वरेखा जव धुज अदुति, सकल सोभा धरन ।
बामपद गद शक्ति, कुंडल, मीन सुबरन बरन ॥
अष्टकोण सुबेदिका, रथ प्रेम आनँद भरन ।
कमलपदके आसरे नित, रहत राधारमन ॥
काम दुःख संताप भंजन बिरह-सागर तरन ।
कलित कोमल सुबग सीतल, हरत जियकी जरन ॥
जयतिजय नव-नागरी-पद सकल भव भय हरन ।
जुगलप्यारी नैन निरमल, होत लख नख किरन ॥