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राधा -चरनकी हूँ सरन । छत...

भजन - राधा -चरनकी हूँ सरन । छत...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


राधा-चरनकी हूँ सरन ।

छत्र चक्र सुपद्म राजत, सुफल मनसा करन ॥

ऊर्ध्वरेखा जव धुज अदुति, सकल सोभा धरन ।

बामपद गद शक्ति, कुंडल, मीन सुबरन बरन ॥

अष्टकोण सुबेदिका, रथ प्रेम आनँद भरन ।

कमलपदके आसरे नित, रहत राधारमन ॥

काम दुःख संताप भंजन बिरह-सागर तरन ।

कलित कोमल सुबग सीतल, हरत जियकी जरन ॥

जयतिजय नव-नागरी-पद सकल भव भय हरन ।

जुगलप्यारी नैन निरमल, होत लख नख किरन ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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