हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|युगलप्रियाजी|
ज्ञान शुभ कर्मको सुथल मिथ...

भजन - ज्ञान शुभ कर्मको सुथल मिथ...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


ज्ञान शुभ कर्मको सुथल मिथिला धाम ॥

जनक जोगींद्र राजेंद्र राजत बिदेह ब्रह्म,

सुख अनुभवत इसि दिवस आठौ जाम ।

भोग रोग मानत हैं, सहज ही बिराग भाग,

शान्ति रूप कर्म करैं पुरे निहकाम ॥

श्रीमती सुनैना भली सुकृत बेलि फूली-फली,

जनमि श्रीसीय पाये लौने बर राम ।

जुगलप्रिया सरिता बन बाग तरु तड़ाग राग,

नारी नर सोहै सब अति ललाम ॥

N/A

References : N/A
Last Updated : December 25, 2007

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP