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बीर अबीर न डारौ । अँखिया...

भजन - बीर अबीर न डारौ । अँखिया...

हरिभक्त कवियोंकी भक्तिपूर्ण रचनाओंसे जगत्‌को सुख-शांती एवं आनंदकी प्राप्ति होती है।


बीर अबीर न डारौ ।

अँखियाँ रूप रंग रस छाकीं, इनकी ओर निहारौ ॥

अंतर होत जो अवलोकनकों, हितकी बात बिचारौ ।

जुगलप्रिया मन जीवन जीको, जा पट ओट उचारौ ॥

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Last Updated : December 25, 2007

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