होरी-सी हिय झार बढै री । यह बिछुरन मेरे प्रान हरै री ॥
नेह नगरमें धूम मचाई, फेर फिरावत दै दै फेरी ।
तन मन प्रान छार भये, मेरे धीरज जियरा नाहिं धरै री ॥
यह ऊधम अब कबलौं सहिये, मनमानी मो सँग जु करै री ।
जुगलप्रिया सरसाय दरस दे, सीतलता प्रिय आय भरै री ॥