Shri Tatvnyayvibhakar - Page 29

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( २६ )
तत्तवन्यायविभावरे
গान्तमोतस्तृत्कपणान्त्ुटर्स रकूलमव तिम्रति । तत
ऊर्द्ं नियमादसौ प्रतिपतनि । चतुर्वार भवत्या-
समारमेषा श्रेणिः ॥
क्षपकश्रेण्या कपायनिस्सत्तापादक म्यान क्षीण-
मोहगुणर नम् । क्षपकत्रेपिश्रामवमेकयारमेय
भघति । तदनतरमेव भकलत्रैकालिकुपस्तुम्वभाव
भासककेवल्षानाचात्ति 1 आन्तमीट्टत्तिकरमिदम् ।
योग्रयवत केवलज्ञानोत्पादक स्थान सयोगि
शुणम्यानम् । इदोत्कृष्टनो देशोनपूर्यकोटिममाणम् ।
जधन्यनोऽ्तर्मुहत्तम् ॥
योगप्रतिरोविगैखेर्गाकरणमयोजरु व्यानमयो
गियुणर नम्। आदिमरवपश्रस्वरोचारणाशिररण
कालमात्रमानमतत् ।॥
इনি অनुरई गुणस्थानानि
उपयोगप प्रशृक्ति समिति । सेर्याभापप
णाऽऽद्राननिक्षपान्मग भदन पत्र ास्मपरनाधापरि-
हाराय युगमात्रानिरीक्षणपत्रर रत्नत्रयफलफ गमन-
मीर्या। कशादिदोपरहिनटितमितानवगासदिग्धा-
निद्रोन्य भाषण नापा। सूत्रानुमारेणा्ादिपदा
्थान्येषणमेपणा। उपवितप्रभृतीना निीक्षणप्रमार्जन
पूर्यकग्रहणम्यापनान्मककियाऽदाननिक्षेपणा जन्तु-

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Last Updated : June 03, 2021

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