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युवनाश्व

   { yuvanāśva }
Script: Devanagari

युवनाश्व     

Puranic Encyclopaedia  | English  English
YUVANĀŚVA I   A King of the Ikṣvāku dynasty.
1) Genealogy.
From Viṣṇu were descended in the following order:--Brahmā-Marīci-Kaśyapa-Vivasvān- Vaivasvata Manu-Ikṣvāku-Vikukṣi-Śaśāda-Kakutstha (Purañjaya)-Anenas- Pṛthulāśva- Prasenajit- Yuvanāśva. This Yuvanāśva was the father of Māndhātā.
2) Other details.
(i) Yuvanāśva performed many Yāgas. [M.B. Vana Parva, Chapter 126, Verse 5] .
(ii) Once he drank water which had been subjected to special mantras (incantations) and as a result he became pregnant. Māndhātā was born by cutting open his belly. (For more details see under Māndhātā).
(iii) Yuvanāśva once received a wonderful sword from King Raivata. He presented that sword to King Raghu. [M.B. Śānti Parva, Chapter 166, Verse 78] .
(iv) In [Mahābhārata, Anuśāsana Parva, Chapter 115, Verse 61] , it is stated that he had received “Parāvaratattva” (ability to know the highest and the lowest) because he had renounced meat-eating.
YUVANĀŚVA II   Another Yuvanāśva was the grandson of Viṣvagaśva of the Ikṣvāku dynasty and the son of Adri. This Yuvanāśva was the father of King Śrāva. [M.B. Vana Parva, Chapter 202, Verse 3] .
YUVANĀŚVA III   [Mahābhārata, Śānti Parva, Chapter 234, Verse 15] , refers to another Yuvanāśva who was the son of Vṛṣadarbha. He attained Heaven by offering gifts of jewels, women and dwelling houses.
YUVANĀŚVA IV   A King of the Ikṣvāku dynasty who was the grandson of Māndhātā. There is reference to him in the Ṛgveda. [Ṛgveda, 10] ; 134.

युवनाश्व     

हिन्दी (hindi) WN | Hindi  Hindi
noun  इक्ष्वाकु वंश के एक राजा जो राम के पूर्वज थे   Ex. युवनाश्व त्रिशंकु के पौत्र थे ।
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
benযুবনাশ্ব
gujયુવનાશ્વ
kasیُوناشو
kokयुवनाश्व
marयुवनाश्व
panਯੁਵਨਾਸ਼ਵ
sanयुवनाश्वः
urdیُوناشو

युवनाश्व     

युवनाश्व n.  (सू, इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो युवनाथ प्रथम नाम से सुविख्यात है । भागवतके अनुसार यह चंद्रराजा का, विष्णु के अनुसार आर्द्र का, मत्स्य के अनुसार इन्दु का, एवं वायु के अनुसार आंध्र राजा का पुत्र था । इसके पुत्र का नाम श्रावस्त था ।
युवनाश्व II. n.  (स. इ.) इक्ष्वाकुवंश में उत्पन्न एक सुविख्यात नरेश, जो युवनाश्व द्वितीय नाम से सुविख्यात हैं । महाभारत में इसे सुद्युम्न राजा का पुत्र कहा गया है, जिस कारण इसे सौद्युम्नि नामान्तर भी प्राप्त था । विष्णु एवं वायु के अनुसार यह प्रसेनजित राजा का, मत्स्य के अनुसार रणाश्व का एवं भागवत के अनुसार सेनजित का पुत्र था । इसकी सौ पत्नियाँ थी, जिनमें से गौरी इसकी पटरानी थी । बहुत वर्षों तक इसे पुत्र न था । इसलिए पुत्रप्राप्ति के लिए भृगु ऋषि को अध्वर्यु बना कर इसने एक यज्ञ का आयोजन किया । यज्ञ समारोह की रात्रि में अत्यधिक प्यासा होने के कारण, इसने भृगुऋषि के द्वारा इसकी पत्नियाँ के लिए सिद्ध किया गया जल गलती से प्राशन किया । इसी जल के कारण, इसमें गर्भस्थापना हो कर इसकी बाय़ी कुक्षी से ‘मांधातृ’ नामक सुविख्यात पुत्र का जन्म हुआ [म. व. १९३.३] ;[भा. ९.६,२५-३२] ; मांधातृ देखिये । इसकी गौरी नामक पत्नी पौरवराजा मतिनार की कन्या थी । वायु में इसके द्वारा गौरी को शाप दिये जाने की एक कथा प्राप्त है, जिस कारण वह बाहुदा नामक नदी बन गयी [वायु. ८८.६६] ;[ब्रह्मांड. ३.६३.६७] ;[व्रह्म. ७.९१] ;[ह. वं १.१२.५] । इसकी एक कन्या का नाम कावेरी था, जो गंगा नदी का ही मानवी रूप थी [ह. वं. १.२७.९] । अपनी इस कन्या को इसने नदी बनने का शाप दिया, जो आज ही नर्मदा नदी की सहाय्यक नदी के नातें विद्यमान है [मत्स्य., १८९.२-६] । अपने पूर्ववर्ती रैवत नामक राजा से इसे एक दिव्य खङग की प्राप्ति हुयी थी. जो इसने अपने वंशज रघु राजा को प्रदान किया था [म. शां. १६०.७६] यह एक सुविख्यात दानी राजा था, जिसने अपनी सारी पात्नियाँ एवं राज्य बाह्मणों को दान में दिया था [म. शां. २१६.२५]
युवनाश्व III. n.  (सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो युवनाश्व तृतीय नाम से सुविख्यात था । यह मांधातृपुत्र अंबरीप रजा का पुत्र था । मांधातृ एवं इसके वंशज क्षत्रिय ब्राह्मण कहलाते थे, जिस कारण इसे भी यही उपाधि प्राप्त थी । यह एवं इसका पुत्र हरित, अंगिरस ब्राह्मण कुल में प्रविष्ट हुयें थे । एक वैदिक सूक्तद्रष्टा के नाते से इसका उल्लेख प्राप्त है [ऋ. १०.१३४] । इसे अंगिरस कुल का एक मंत्रकार भी कहा गया है । इसके पितामह मांधातृ ने एक प्रवरके नाते इसका स्वीकार किया था [भा. ९.७.१]
युवनाश्व IV. n.  ( स्वा. प्रिय. ) एक राजा, जो भागवत के अनुसार पृथु राजा का पुत्र था ।
युवनाश्व V. n.  शूलिन् नामक शिवावतार का एक शिष्य ।

युवनाश्व     

कोंकणी (Konkani) WN | Konkani  Konkani
noun  रामाचो पुर्वज आशिल्लो असो इक्ष्वाकु वंशाचो एक राजा   Ex. युवनाश्व त्रिशंकुचो नातू आशिल्लो
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
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gujયુવનાશ્વ
hinयुवनाश्व
kasیُوناشو
marयुवनाश्व
panਯੁਵਨਾਸ਼ਵ
sanयुवनाश्वः
urdیُوناشو

युवनाश्व     

मराठी (Marathi) WN | Marathi  Marathi
noun  इक्ष्वाकु वंशातील एक राजा जे श्रीरामचे पूर्वज होते   Ex. युवनाश्व हे त्रिशंकूचे नातू होते.
ONTOLOGY:
पौराणिक जीव (Mythological Character)जन्तु (Fauna)सजीव (Animate)संज्ञा (Noun)
Wordnet:
benযুবনাশ্ব
gujયુવનાશ્વ
hinयुवनाश्व
kasیُوناشو
kokयुवनाश्व
panਯੁਵਨਾਸ਼ਵ
sanयुवनाश्वः
urdیُوناشو

युवनाश्व     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
युवनाश्व  m. m.N. of the father of मान्धातृ and of various other men, [MBh.] ; [R.] ; [Hariv.] ; [Pur.]

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