साधन मुक्तावलि - रामलक्ष्मणाष्टक
’ साधन - मुक्तावलि ’ या ग्रंथात सर्व प्रकारचे अभंग आहेत.
कमललोचनौ कांचनांबरौ कवचभूषणौ कार्मुकायुधौ ॥
कल्मषसंहरौ कामितप्रदौ रहसि नौ मितौ रामलक्ष्मणौ ॥१॥
वनविहारिणौ वल्कलांबरौ वनफलाशनौ वासवस्तुतौ ॥
वरगुणान्वितौ वानरार्चितौ रहसि नौ० ॥२॥
सवनरक्षकौ सत्यसंगरौ सवनभीकरौ साहसान्वितौ ॥
सदयमानसौ सर्ववंदितौ रहसि० ॥३॥
मकरकुंडलौ मौनसेवितौ मणिकिरीटिनौ मानुषोत्तमौ ॥
मणिपुलेश्वरौ राजपुंगवौ रहसि० ॥४॥
घनतदिन्निभौ खंडितव्यथौ घनजडांबरौ खडगधारिणौ ॥
घनस्वरंजितौ कामितप्रदौ रहसि० ॥५॥
धृतिविखंडितौ दीनरक्षकौ धृतिहिमाचलौ दिव्यभूषणौ ॥
दिविजपूजितौ दीर्घदोर्युधौ रहसि० ॥६॥
रणकुतूहलौ राक्षसांतकौ रतिवरोपमौ रत्नभूषणौ ॥
रविकुलान्वितौ रावणान्तकौ रहसि० ॥७॥
बहुगुआस्पदं राघवाष्टकं रहसि य: पठेत् रामभक्तिदं ॥
हरति कल्मषं राजितं सदा सकलवंदितं सभ्यगर्जितं ॥८॥
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Last Updated : September 10, 2015
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