मलुखान मौला धनी, वखत पर आन बनी ।
कमन चडे मली मलपर झेंडा, आत्म मचिले हातमो खंडा,
ज्याके मिला है उत्तरो लोंढा घेरलिया दैत्योका तंडा ॥मालुखान॥
यशवंतरावकी पहिली गुजरि तेत्तीस कोट देवत हजरी ।
शब्द ऋषीके कुइ दिन गुदरी ।
शाही होळकर की घेरी घेरी मदत मल्हारी गंगा उत्तरी मलुखान॥
व्हा नारत की स्वारी आई उत्ने कैलास की राहा बताई ।
गो ब्राह्मण सब दुनिया सताई मलुखान ॥
जुलुम जुलुम मोंगल का दंगा ।
किल्ले अंदरसे निकला भुंगा ।
शरण शरण है पठार लिंगा कवि मुकुंद गिर बापुजी वाघा ॥मलुखान॥