मद्र n. मद्र देश में रहनेवाले लोगों के लिए प्रयुक्त सामुहिक नाम । बृहदारण्यक उपनिषद में इन लोगों का निर्देश प्राप्त है
[बृ.उ.३.३.१, ७.१] । उपनिषदों में वर्णित मद्रगण कुरुओं भॉंति मध्यदेश के कुरुक्षेत्र नामक स्थान में बसे हुए थे । उस समय पतंचल काप्य नामक आचार्य इन्हे के बीच रहता था । ऐतरेय ब्राह्मण में उत्तर मद्र लोगों का निर्देश प्राप्त है, जिन्हे हिमालय पर्वत के उस पार (‘परेण हिमवन्गगों’) उत्तर कुरुओं के पडोस के रहिवासी बताया गया है
[ऐ.ब्रा.८.१४.३] । त्सिमर के अनुसार, ये लोग काश्मीर के रावी एवं चिनाब के मध्यवर्ति भूभाग में रहते थे
[आल्टिन्डिशे. लेबेन.१०२] । महाभारतकाल में इन लोगों का राजा शल्य था, जिसकी बहन माद्री कुरुवंशीय राजा पाण्डु को विवाह में दी गयी थी । उस समय भीष्म अपने मंत्री, ब्राह्मण, एवं सेना को साथ ले कर इस देश में आये थे, एवं उस्ने पाण्डु के लिए माद्री का वरण किया
[म.आ.१०५.४-५] । युधिष्ठिर के राजसूर्य यज्ञ के समय, पाण्डुपुत्र नकुल ने इन लोगों पर प्रेम से विजय प्राप्त किया था, एवं ये लोग युधिष्ठिर के लिए भेंट ले कर आये थे
[म.स.२९.१३, ४८.१३] । महाभारत के पूर्वकाल में, सती सावित्री का पिता अश्वपति मद्र देश में का नरेश था
[म.व.२९३.१३] । कर्ण ने मद्र एवं वाहीक देशों को आचारभ्रष्ट बता कर उनकी निंदा की थी
[म.क.३०.९,५५, ६२, ६८-७१] ।
मद्र (गणराज्य) n. एक गणराज्य (सिकंदर आक्रमणकालीन - उत्तर पश्चिम भारतीय लोकसमूह एवं गणराज्य)
जो पंजाब में असिकी एवं इरावती (रावी) नदियों के बीच के प्रदेश में स्थित था । सिकंदर के आक्रमण के समय इस देश का राजा पोरस (कनिष्ठ) था, जो केकयराज पोरस का भतिजा था । सिकंदर के इस देश के आक्रमण के समय, केकयराज पोरस उसका मित्र एवं सहायक बना था । इसी कारण मद्रराज पोरस ने भी सिकंदर का कोई प्रतिकार न किया, एवं उसकी अधीनता स्वीकृत की ।
मद्र II. n. अनुवंशीय ‘मद्रक’ राजा के लिए उपलब्ध पाठभेद ।
मद्र III. n. स्वारोचिष मन्वन्तर का एक देव ।