श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - नाचत गौर प्रेम अधीर ।...
श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।
नाचत गौर प्रेम अधीर ।
भूलि सुधि हरि-नाम टेरत, बहत नैननि नीर ॥
पान करि सुचि प्रेम-अमृत, मत्त पुलकित अंग ।
भगत गन नाचत सकल मिलि बजत ताल मृदंग ॥
परम पावन नामकी धुनि, गूँजती आकास ।
बिपुल अघ संसारके पल माहिं होत बिनास ॥
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Last Updated : September 25, 2008
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