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ऊधौ ! सो मनमोहन रूप । ज...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - ऊधौ ! सो मनमोहन रूप । ज...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

ऊधौ ! सो मनमोहन रूप ।

जो हम निरख्यो सदा नैन भरि, सुंदअर अतुल, अनूप ॥

सिव, बिरंचि, सनकादिक, नारद, ब्रह्म, बिदित जग जाने ।

सुरगुरु सुरपति जेहि देखन हित रहत सदा ललचाने ॥

बेद-बुद्धि कुंठित भइ बरनत, 'नेति नेति' कहि गायो ।

सारस सेस सहसमुख निसिदिन गावत, पार न पायो ॥

जेहि लगि ध्यन-निरत जोगी, मुनि, इत जप-तप-ब्रत-धारी ।

तदपि सो स्याम त्रिभंग मुरलिधर सकत न नैन निहारी ॥

सोइ प्रभु दधि-माखन हित नित प्रति आँगन हमरे आये ।

तनि-तनिक दधि नवनी दै दै हम बहु नाच नचाये ॥

ऊधौ ! सोइ माधुरी मूरति अन्तर दृगन समाई ।

ग्यान-बिराग तिहारो बोरौ कालिंदी महँ धाई ॥

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Last Updated : September 25, 2008

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