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देख एक तू ही तू ही तू । स...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - देख एक तू ही तू ही तू । स...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

देख एक तू ही तू ही तू । सर्वव्यापक जग तू ही तू ॥

सत, चित, घन, आनंद नित, अज, अव्यक्त अपार ।

अलख, अनादि, अनंत अगोचर पूर्ण विश्व-आधार ।

एकरस अव्यय तू ही तू ॥ सर्वव्यापक० ॥

सत्यरूपसे जगत सब, तेरा ही विस्तार ।

जग माया-कल्पित है सारा तव संकल्पाधार ॥

रचयिता-रचना तू ही तू ॥ सर्वव्यापक० ॥

तुझ बिन दूजी वस्तु नहिं, किंचित भी संसार ।

सूत सूत-मणियोमें गूँथा, जल-तरंगवत सार ।

भरा एक तू ही तू ही तू ॥सर्वव्यापक० ॥

माता-पिता-धाता तू ही, वेदवेद्य ओंकार ।

पावन परम पितामह तू ही, सुह्रद शरणदातार ।

सृजत, पालत, संहारत तू ॥सर्वव्यापक०॥

क्षर अक्षर, कूटस्थ तू, प्रकृति-पुरुष तव रूप ।

मायातीत, वेदवर्णित पुरुषोत्तम अतुल, अरूप ।

रूपमय सकल रूप ही तू ॥सर्वव्यापक०॥

मोह स्वप्नको भंग कर, निज रूपहि पहिचान ।

नित्य सत्य आनंद बोध घन निजमें निजको जान ।

सदा आनंदरूप एक तू ॥सर्वव्यापक०॥

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Last Updated : September 25, 2008

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