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स्वागत ! स्वागत ! आओ प्...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार - स्वागत ! स्वागत ! आओ प्...

श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारके परमोपयोगी सरस पदोंसे की गयी भक्ति भगवान को परम प्रिय है।

स्वागत ! स्वागत ! आओ प्यारे ! दर्शन दो नयनोंके तारे ॥

बालककी मधुरी हाँसीमें । मोहनकी मीठी बाँसीमें ॥

मित्रोंकी निःस्वार्थ प्रीतिमें ।प्रेमीगणकी मिलन-रीतिमें ॥

नारीके कोमल अंतरमे । योगीके ह्रदयाभ्यन्तरमें ॥

वीरोंके रणभूमि-मरणमें । दीनोंके संताप-हरणमें ॥

कर्मठके कर्म-प्रवाहमें । साधकके सात्त्विक उछाहमें ॥

भक्तोंके बगवान-शरणमें । ज्ञानवानके आत्मरमणमें ॥

संतोकी शुचि सरल भक्तिमें । अग्निदेवकी दाह-शक्तिमें ॥

गंगाकी पुनीत धारामें । पृथ्वी-पवन, व्योम-तारामें ॥

भास्करके प्रखर प्रकाशमें । शशधरके शीतल विकासमें ॥

कोकिलके कोमल सुस्वरमें । मत्त मयूरी केका-रवमें ॥

विकसित पुष्पोंकी कलियोंमे । काले नखराले अलियोंमें ॥

सबमें तुम्हे देखते सारे । पर न पकड़ पाते मतवारे ॥

निज पहचान बता दो प्यारे । छिपना छोडो, जग उजियारे ॥

स्वागत ! स्वागत आओ प्यारे ! मेरे जीवनके 'ध्रुवतारे' ॥

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Last Updated : September 25, 2008

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