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श्रीगायत्र्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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श्रीगायत्रीपुरश्चरणविधिः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ विश्वामित्रकृत श्रीगायत्रीकल्पः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्र्युपनिषत्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीपद्धतिः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीतत्त्वम्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीकवचम्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीपंजरस्तोत्रम्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीस्तवराजः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीपटलम्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अष्टाविंशतिगायत्र्यः
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अथ श्रीगायत्रीसहस्रनामस्तोत्रम्
श्रीगायत्री परां देवीं विप्रेभ्योऽभयदां मुदा ।वन्दे ब्रह्मप्रदां साक्षात्सच्चिदानंदरूपिणीम् ॥अनुक्रमणिका प्रमाणे वाचन करावे.
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अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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श्री हयग्रीवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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श्री आञ्जनेय अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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तुलस्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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नृसिंहाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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सरस्वत्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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गौर्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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श्री वेङ्कटेशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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ललिताष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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सुब्रह्मण्याष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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लक्ष्म्यष्टोत्तरशतनाम्स्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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श्रीरामाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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शिवाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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श्रीकृष्णाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
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श्रीगणेशाष्टोत्तरशतनाम्स्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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श्री सीता अष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम्
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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श्री सुदर्शनाष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रं
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श्रीरामाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् - सहस्रशीर्ष्णे वै तुभ्यं स...
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गणेशाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् - गणेशहेरंबगजाननेति महोदर! ...
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लक्ष्म्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् - श्री देव्युवाच- देव देव म...
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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श्री शंकराचार्यास्ष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् - श्रीशंकराचार्यवर्यश्च ब्र...
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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श्रीहरिहरपुत्राष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् - महाशास्ता महादेवो महादेवस...
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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श्रीललिताष्टोत्तरशतस्तोत्रनामावलिः - रजताचलशृंगाग्रमध्यस्थायै ...
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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श्रीविष्णुशतनामस्तोत्रम् - वासुदेवं हृषीकेशं वामनं ज...
अष्टोत्तरशतनामस्तोत्र म्हणजे देवी देवतांची एकशे आठ नावे.Ashtottara shatanamavali means 108 names of almighty God and Godess.
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देवीसूक्तम् - ऋग्वेद-संहिताः ( मण्डलम् ...
सूक्त चे चार भेद आहेत- देवता, ऋषि, छन्द आणि अर्थ.
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प्रथमोल्लास
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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ब्रह्मसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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द्वितीयोल्लास
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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श्रीशिवसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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तृतीयोल्लास
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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श्रीविष्णुसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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श्रीलक्ष्मीसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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चतुर्थोल्लास
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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श्रीरामसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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श्रीसीतासूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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श्रीहनुमत्सूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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पञ्चमोल्लास
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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श्रीकृष्णसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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श्रीनन्दादिगोपसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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श्रीयशोदासूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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श्रीवृन्दावनसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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षष्ठोल्लास
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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श्रीहरिहरसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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सूर्यसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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गङगासूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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यमुनासूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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गणेशसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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सरस्वतीसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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सप्तमोल्लास
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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धर्मंसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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स्त्रीधर्माः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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नीतिसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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अष्टमोल्लास
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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सत्सङगसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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विवेकसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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वैराग्यसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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नवमोल्लास
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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भक्तिसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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प्रेमसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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साधुसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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ज्ञानिसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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गुरुसूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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दशमोल्लास
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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हरिभक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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शिवमहिमा
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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सतां महत्त्वम्
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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क्षमा
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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साधुसङगः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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योगी
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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गीतागौरवम्
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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महापुरुषमहिमा
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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सज्जनदुर्जनविवेकः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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अन्योक्तयः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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विवेकः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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संकीर्णानि
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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सूक्तिः
भगवान के प्रती सूक्ति मे श्रवण-सुखद,सुन्दर शब्दविन्यास और प्रसाद माधुर्य आदि गुणोंसे समन्वित सारभूत श्लोकोंका संचय किया जाता है।
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