व्याहृतिहोम
सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.
व्याहृतिहोम - तिल, यव, ब्रीहि, चरु, और आज्य - पाँच द्रव्य से प्रतिद्र्व्य अथवा केवल तिल अथवा आज्य से १००८ अथवा १०८ आहुति समस्त महाव्याहृति से दें -
ॐ भूर्भूव: स्व: स्वाहा । यह होम आचार्यकुंड में न हो । हुतशेष से ॐ अग्नये स्विष्टकृते स्वाहा । आहुति दें । पश्चात् होमांग पूर्णाहुति भिन्न है, यह होमका अंगभूत पूर्णाहुति है ।) के लिए ॐ मृडाग्नये नम: - पूजाकर स्रुक में चार बार घी लेकर उसमें पूगीफल रखवरॐ मूर्धानंदिवो. स्वाहा पूर्णाहुति करें ।
विशेष होम :--- पांच कुंड हो तो प्रधान देव के मंत्र से पूर्वकुंड मे घी की आठ आहुति देकर देव के चरण स्पर्श करें । दक्षिणकुंड में दही की आठ आहुति देकर देवकी नाभि को स्पर्श करें । पश्चिमकुंड में क्षीरकी आठ आहुति देकर देवका हृदय स्पर्श करें । उत्तर कुंड में मधु की आठ आहुति देकर देव मस्तक स्पर्श करें ।
पश्चिमकुंड में घृतदहिक्षीरमधु मिश्र करके होम करें तथा उसी मिश्रणसे पूर्णाहुति करें और देवके सभी अंगों का स्पर्श करें ।
नवकुंड हो तो आचार्य कुंड छोडकर चार दिशा के कुंड में उपर अनुसार आहुति दें और अग्निकोण के कुंड में - ॐ वौषट् स्वाहा मंत्र से घी की आठ आहुति दें नैऋत्यकॊण कुण्ड मे - ॐ (दसबार) तत्सवितु. स्वाहा दही की आठ”
वायव्यकोण कुण्ड में - ॐ जातवेदसे. स्वाहा क्षीर की आठ आहुति दें ईशानकोण कुंड में - ॐ ब्रम्हाजज्ञानं. स्वाहा मधु की आठ आहुति दें होम समाप्ति पश्चात् देवके दाहिने कानमें - कृतं अमुं होम. देवाय निवेदयामि दिवका नाम लेकर निवेदन करें । जितने दिन अधिवासन हो उतने दिन शान्ति - पौष्टिक होम, मूर्ति, मूर्तिअधिपति, लोकपाल होम, स्थाप्य देवता होम, व्याहृति होम, तत्त्वन्यास होम, तत्त्वन्यास प्रतिदिन करें ।
ॐ जातवेदसे सुनवाम सोममरातीमतोनिदहाति वेद: स
न: पर्षदति दुर्गाणि विधा नायेय सिन्धुं दुरितात्यमि: ॥
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Last Updated : May 24, 2018
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