संस्कृत सूची|पूजा विधीः|प्रतिष्ठारत्नम्|
देवप्रार्थना

देवप्रार्थना

सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.


देवप्रार्थना :-- ॐ त्वयि संपूजयामीशं नारायणमनामयम्‌ । रहित: सर्वदोजैस्त्वं ऋद्धियुक्त: सदा भव ॥
प्रतिमाया. कुशै: संमार्जनम्‌ - ॐ प्रत्युष्ट रक्ष: प्रत्युष्टाऽअरातयो निष्टप्त रक्षो निष्टप्ता अरातय: । अनिशितोसि सपत्नक्षिद्वाजिनं त्वा वाजे ध्यायै सम्मार्ज्मि । प्रत्युष्ट रक्ष: प्रत्युष्टाऽअरातयो निष्टप्त रक्षो निष्टप्ता अरातय: । अनिशितासि सपत्नक्षिद्वाजिनं त्वा वाजे ध्द्यायै समार्ज्मि ॥
पश्चात्‌ प्रतिमाको मधु आज्य लेप से व्रणभंग करें । मिट्टी गोमय गोमूत्र भस्म दूध आदि सें स्नान करायें व शुद्धजल से शुद्ध करें । मंत्रपाठ करते रहें । गंधपुष्प से पूजा करें । मधु घृत सुवर्णपात्र में लेकर सुवर्णशलाका से आंखोंमें भरें । अगर नेत्र अलग हो सो मीण (मोम) से लगायें । पुन: स्नान करायें । यजमान को मूर्ति दें । यजमान के निवेदन पर आचार्य मूर्ति का सांगोपांग निरीक्षण करें -
ॐ मित्रस्यत्वा चक्षुषा प्रतीक्षे । पश्चात्‌ मूर्ति की पंचोपचार से पूजा करें ।

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Last Updated : May 24, 2018

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