प्रासाददिक्षु होम
सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.
प्रासाददिक्षु होम :--- प्रासाद की आठ दिशाओं में होमसंकल्प: - शुभपुण्यतिथौ प्रासादरक्षार्थं प्रासाददिकहोमं करिष्ये । प्रासाद के बाहर आठ दिशाओं में हस्तमात्र स्थंडिल बनाकर, पंचभूसंस्कार, अग्निस्थापन करें । ॐ महीद्यौ:० आदि से प्रतिस्थंडिल ईशान में कलशस्थापन करें । आठ स्थंडिलो में आघारादि पश्चात् पलाशसमिधाकी १००८ या १०८ आहुति प्रतिस्थंडित देवताके मूलमंत्र से दें । अनंतर आज्य की १०८ या २८ या ८ आहुति - ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमह । तन्नो विष्णु: प्रचोदयात् - मंत्र की अथवा स्थाप्यदेवता की गायत्रीमंत्र से दें । पश्चात स्विष्टं, नवाहुतय:, बलि: पूर्णाहुति: संस्रवप्राशनम् अग्निविसर्जनम । आचार्य आठ दिशा में रखे कलशों का जल एक पात्र में इकट्ठा करें दिवता मंत्र सौबार बोल कर अभिमंत्रित करें । पश्चात प्रतिमा समीप जाकर - सर्वतीर्थमयं इदं जलम् । कहते ध्यानकरते देवके मस्तक पर अभिषेक करें ।
विशेष - यह होम प्रतिमास्थापन पूर्व करें । कलशस्थाप न भूलें । प्रासाद रक्षणार्थ यह होम आवश्यक है ।
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Last Updated : May 24, 2018
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