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गगन मंडलमों करो वासा । आव...

कबीर के दोहे - गगन मंडलमों करो वासा । आव...

कबीर के दोहे

हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।
Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".


गगन मंडलमों करो वासा । आव दुजा देखो अजब तमासा ॥ध्रु०॥

गऊं मेरो गगन सुरत मेरा चौका । चौतन चवन दुरावेगीजी ॥१॥

इडा पिंगला सुखमन नारी । अनुहात हात वीन न बजावेजी ॥२॥

त्रिकुट घाट आसनान जो करले । रवि शशि संजम होईजी ॥३॥

हंसा खेल करे राजनसे । एक मेहेलमें दोईजी ॥४॥

अष्टकमलदलपर खुरी बनाई । उलट ध्यान लगायाजी ॥५॥

पांच पचीस एक न धरलावे । तब धुनकी सुध पाईजी ॥६॥

बीन बादल बीन बिजली चमके । बिना सिपके मोतीजी ॥७॥

कहे कबीर सुन भाई साधु निरखो निरमल ज्योतीजी ॥८॥

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Last Updated : January 07, 2008

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