सांवलिया गिरिधारी लाल खबर लेना मेरी ।
खबर लेना मेरी नहीं तो होयगी तेरी मेरी ॥ध्रु०॥
भोजन देना तो अच्छा देना खासी सिरापुरी ॥१॥
बीडा देना तो अच्छा देना खासी लंवग सुपारी ॥२॥
कपडा देना तो तो अच्छा देना देना भडक जरतारी ॥३॥
घोडो देना तो अच्छा देन उप्पर अबदागिरी ॥४॥
जुरू देना तो अच्छा देना सब संतनकू प्यारी ॥५॥
बेटा देना तो अच्छा देना जिकीर करेगा तेरी ॥६॥
बाता करना तो सच्चा करना सबकू लागे प्यारी ॥७॥
हात पकरकर राह बताना मजल करना पुरी ॥८॥
कहत कबीरा सुन भाई साधु मतकर माया मेरी ॥९॥