हमतो फकीर है भाई तन महेजत बतलाई ॥ध्रु०॥
गुरुने मुज फकीर बनाया महेजद कैसी है भाई ।
फकीरी कैसी तूनें पाई ॥१॥
गुरुग्यान भंग पिलाया माहिमें अल्ला बतलाया ॥२॥
अल्ला कैसा है साई । ठिकाना मुझे बतलाव भाई ॥३॥
अल्ला सुनेका गोला पछेम पिसेसो मोला ॥४॥
गोलासा रूप कैसा आया । उसकू नाम किने दिया ॥५॥
मायेंने खेल किया । गुरूनें नाम बतलाया ॥६॥
उसका नाम क्या भाई । कहा रहते वो सांई ॥७॥
निर्गुण ब्रह्मा राम हमारा । सब जगभजनकर है न्यारा ॥८॥
न्यास किदर है भाई । मुजे बतलाव फकेरी सांइ ॥९॥
ठाडे बिटपर पंढरपुरवाले रहे । पुंडरीक खातर वो आये ॥१०॥
पुंडरीकनें क्या तप कीया । अल्ला कैसा बुलाया ॥११॥
मा बाप बचनसे रह्या । कबीरनें कमालकू दिखाया ॥१२॥