आपही पीर आपही दरगा । आपही काजी जाना है ।
आपही मुरशद आपही मौला । आप आपसे पछानो है ॥१॥
आपही शेख आपही सैय्यद । आपही पठान दिलमो है ।
आपही कुरान आपही किताब । आपही आपने तनमों है ॥२॥
आपही फकीर आपही फजतार । आपही सबसे न्यारा है ।
आपही आंदर आपही भीतर । आपही देख न्यारा है ॥३॥
कहत कबीर सुनो भाई साधु । आपही बलकलताला है ।
नैन उधार देखो बाबा । जीदर उदर उजाला है ॥४॥