नरहरिया प्रभु गिरिधरिया प्रल्हाद उधारे नरहरिया ॥ध्रु०॥
रामकृष्ण दोउ नाम बङे है तारन तरन अभयकरीया ॥१॥
वामन रूप छले बलिराजा तीन पाद वसुधा धरिया ॥२॥
खंभ फार हिरनाकुसमारे जब प्रल्हाद अभयकरिया ॥३॥
रावनके दस मस्तक छेदे बीस भुजा खंड खंड करिया ॥४॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे कर मुरली बन बन फिरिया ॥५॥
केसी मारे कंस पछारे उग्रसेन पर छत्र धरिया ॥६॥
कहत कबीरा सुनो साधु अधम उद्धारन नरहरिया ॥७॥