हम सोई परम पद जाना है । पंचही तत्त्व और तीनों गुनमें ।
बिंबल बिंबल पछाना है ॥१॥
व्हां नहीं चंदा व्हां नहीं सुरज । नहीं रजनी नहीं भाना है ॥२॥
मकर तारसे आत्मा झीना तांहा मेरो मन माना है ॥३॥
व्हां नहीं सिद्ध नहीं साधक लोक कहेसो दिवाना है ॥४॥
कहत कबीरा चितके घरमें पिंड ब्रह्मांड समाना है ॥५॥