आस एक आकेलेसे लागा ताये माया ममता उठ भागा ।
साचारे बाप हमारा निरंजन मिला तो भायगा जागा ॥ध्रु०॥
दुरमती दादी हंकार दादा परदा बीच बनाया ।
गुरु ग्यानका गोला छूटा उड गया दुरमत कागा ॥१॥
आनंद स्वामी वह रंग बाजा गगनमंडल बिच गाजा ।
रंजत मेहेलमें नटवा नाचे जिऊं बाल नरमानी नागा ॥२॥
पांचोही तनकी भटिया चुआऊ राम रसोया पाका ।
कहे तो कबीर सुन मेरे साधु जब सोनेमें मिला सोहागा ॥३॥