नाम रामसे जादा भाई । नाम रामसे जादा ॥ध्रु०॥
सागर उप्पर फत्तर तारे रघुवीर पावे खेदा ।
वालाथा सो वाल्मिक हुवा भेट भई नारदा ॥१॥
मारा मारा येही मंतर उनके अंतर भेदा ।
उलटा ज्याके सुलटा हुवा तरुवर फत्तरभेद ॥२॥
रामनामकी धूम उठी जब जंगल हुवा मक्का ।
जो जाने सो पद पावेगा नहीं कालका धोका ॥३॥
नामलिया जद राम मिलेगा जमही हुवा राजी ।
कहत कबीरा सुन भाई साधु बैकुंठ नौबत बाजी ॥४॥