सुनो साधोजी दुनया अजब तमासा है ॥ध्रु०॥
सद्गुरुनें एक बाग लगाया । प्राण पुरुख व्हां बासा है ।
डाल डाल फल फूल नियारे । कोयी कोयी बुढा खासा है ॥१॥
कवरी कवरी माया जोरी । जोरा लाख पच्यासा है ।
हिरा रतन पदार्थ जोडे । संग चले नहीं मासा है ॥२॥
चौ सौरथ पहिरे पांच सो पहिरे । पहिरे मलमल खासा है ।
रासीरी साफ चौतारा पहिरे । आखर मट्टी बासा है ॥३॥
काहांकी इसतिरिया कांहूंका पुता । काहुको घर घर बासा है ।
कहत कबीरा सुनो भाई साधु एक नामकी आसा है ॥४॥