पानी बिच खडी दैन्यबानी । बाता बोले हिंदुस्तानी ।
अब तुम करोजी मेहरबानी । देव मेरे कपडे मेरे नंदजीके लाला ॥दे०॥
तुम तो मथुरा राखनवाला तुम गोपीपालनवाला ॥ध्रु०॥
सब कपडे लिये छिनकर । ले गये झाडके उप्पर ।
गवालन कहे कन्हैया चोर ॥१॥
मेरी नंदन है बिजली । छपन्न देसकी चुगली ।
कन्हैया छोडो मेरी चोली ॥२॥
मेरी सास है जंजाल । उपटे शिरके लंबे बाल ।
मेरेकू मारे गालो गाल ॥३॥
मेरा मरद है मर्दाना उसीका शिपायोंका बाना ।
गोळी मारेगा दिवाना ॥४॥
मै जातकी बमनी । मेरा सोंवला है गगनीं ।
नाचे उतारो सारंगपाणी ॥५॥
गवालन कहे मैं क्यां करूं । कपडे बिन दिवानी फिरूं ।
तेरे मूम्मे शक्कर भरूं ॥६॥
गवालन कहेजी नंदलाल । मत कर मेरे कपडेके हाल ।
कबीर कहे सुनो मेरा ख्याल ॥७॥