रामकी दिवानी नामकी दिवानी । अब बही हो मैं तो रामकी दिवानी ॥ध्रु०॥
कोरा कोरा घरावो गंगाजल पानी ओ नीर पीये सो अंतर जानी ॥ नाम०॥१॥
फुटगये घडा बिघडगये पानी उड गये हंसा काया कुमलानी ॥२॥
आवे लस्कर पिछे लगे देहरानी जाहां देखूं ताहां साहेब निशानी ॥३॥
कहत कबीरा सुन भाई साधी जानी ना अंतर ओ नैना और आबानी ॥४॥