हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|कबीर के दोहे|कबीर के दोहे २५१ से ३०२|
येरी भाई मोरी गगरीया फोरी...

कबीर के दोहे - येरी भाई मोरी गगरीया फोरी...

कबीर के दोहे

हिंदी साहित्य में कबीर का व्यक्तित्व अनुपम है।
Kabir mostly known as "Weaver saint of Varanasi".


येरी भाई मोरी गगरीया फोरी ॥ध्रु०॥

पल घटको नहीं रे भरंवसा छांड चली पनीयारी ॥येरी०॥१॥

एक भरगई दुजी भरेनेकूं आई अब मेरी भरनेकी बारी ॥ येरी०॥२॥

कहत कबीरा सुन भाई साधु । गोबंदकी गत न्यारी ॥ येरी०॥३॥

N/A

References : N/A
Last Updated : January 07, 2008

Comments | अभिप्राय

Comments written here will be public after appropriate moderation.
Like us on Facebook to send us a private message.
TOP