दो दिनकी जिंदगानी प्रभुदीन । जगमें जीवना थोडारे रामकी बंदगी करले प्यारे ।
नाम नबीका लेनारे ॥१॥
दो दिनकी जिनगानी रहासे । कोई आंगे नहीं चलतारे ।
काल झपेटा झपटे जायगा । जमतम गोता खायरे ॥२॥
तीन हातका कपडा मंगाया । कर कायेकी झोलीरे ।
चार जनो उठवण लागे जाय मसाणमें गाडारे ॥३॥
हात पकड तेरी बहीन रोवे । शीर पकड तेरी माईरे ।
घरकी जोरु तीन दीन रोवे । करे पराई आसरे ॥४॥
जोरू लडके बहीण भानजी । सब पैसेके लोभीरे ।
जीवका साथी कोई नई यारो । कहता दास कबीरारे ॥५॥