ओ पंथी मेरो बालम कब घर आवूं ।
मोकूं मेरे बालमाकी लेहेर सोहाबे । जागत सारी रेन अब बहांवेरे ॥ध्रु०॥
मोर बीन सुने डुंगर बे पिया बीन सुनी सेजा बे ।
जनमही सुनो पियाजी सूर परखे पियाबीन अकेली न रहूं बे ॥१॥
जागत और चालत फिर फिर सोबत दुजो न पास देखूं कोईरे ।
मैं अकेली मुझे निंद न आवे दुजी रेन बसत हुईरी ॥२॥
कहत कबीरा सुन भाई साधु कोई सद्गुरु बालम मिलावेरे ।
जागत सारी रेन अब बहावे मोकूं मेरे बालमाकी लहेर सेहावेरे ॥३॥