गुनका भेद है न्यारा साचो । कोई जानन हाराजी ॥ध्रु०॥
साई गजराज कुलमंडप । ज्याके मस्तक मोतीजी ।
और सकल प्राणी भार लदेला । महिसा सुतके गोतोजी ॥१॥
सोई सुंदर ज्याको प्रियाको बस है आग्या कारन लापेजी ।
और सकल सब कुत्ते बिल्ली सुंदर नाम न शोभेजी ॥२॥
भुजंग जाके माथे लाल है । जाते उजारेमे खेलजी ।
और सकल श्रावनके कीडें जगत पायसरे पीलेजी ॥३॥
सोई सुमर जो जागृत रहियो । जामें धातु निवासाजी ।
और सकल सब कंकर फत्तर । टाकी आगन प्रकासाजी ॥४॥
कहे कबीर सोईजन नुगरा । नामभजन आदिकारी है ।
और सकल साहेबकी बाना । देखा तंत बिचाराजी ॥५॥