पियु जल भरन मोरी जाये भला ।
जल भरतही मैं लाज मरतहूं मेरो आगन पिया पन घट खनवा ॥ पियु०॥१॥
पनिया भरत मोरी सुध बिसरानी तुट गये नवसेरो हार ॥ पियु०॥२॥
सिरपर गडुलो गडुपर गुडुली मोरी हो धन हिरा रतन जरतार ।
कहत कबीरा सुन मेरे गुनियां आब किती पल करोगे पुकार ॥ पियु०॥३॥