संपूर्ण जगतके आधाररुप श्रेष्ठज्योतिको प्रमाण करके अंधकारको नाश करनेवाले जन्मसमयके फलको प्रकाश करनेवाले शास्त्रको कहता हूं जिसके जन्मसमयमें लग्नका स्वामी लग्नमें स्थित होवे सो रोगरहित, चिरकाल जीवनेवाला, बडे बलवाला अथवा राजा और पृथ्वीके लाभसे युक्त होता है । जिसके जन्मर्म लग्नेश दूसरे भावमें स्थित होय वह धनवान् , चिरकाल जीनेवाला, पुष्टदेहवाला, बलवान् वा राजा, पृथ्वीलाभवाला और सुन्दर धर्ममें रत रहनेवाला होता है । जिसके लग्नेश तीसरे भावमें स्थित होय वह श्रेष्ठ भाई और मित्रोंकरके युक्त होता है और धर्ममें रत, दाता, शूरवीर और बलयुक्त होता है ॥१-४॥
जिसके जन्ममें लग्नेश चतुर्थ भावमें स्थित होय वह राजाका प्यारा, बडी आजीविकावाला और पितासे श्रेष्ठ लाभवाला, पिता मातका भक्त और थोडा भोजन करनेवाला होता है । जिसके लग्नेश पंचमभावमें होय वह श्रेष्ठ पुत्रवाला, त्यागी, लक्ष्मीवाला, प्रसिद्ध बली, उपजीविकावाला, श्रेष्ठ गाने और कर्मोमें रत होता है । जिसके जन्मसमयमें लग्नेश छठे भावमें स्थित होय वह रोगरहित, पृथ्वीके लाभवाला, बलवान्, कृपण, धनी, शत्रुओंके नाश करनेवाला, श्रेष्ठ कर्मों तथा मित्रोंसे युक्त होता है । जिसके जन्मसमयमें लग्नेश सप्तम भावमें स्थित होय वह तेजस्वी, श्रेष्ठ स्वभाववाला, तिसकी स्त्री भी श्रेष्ठ स्वभाववाली और उत्तम रुपवाली जानना । जिसके जन्म कालमें लग्नेश अष्टम भावमें स्थित होय वह कृपण और धन संग्रह करनेवाला, बडी आयुर्दायवाला होता है । क्रूर ग्रह होवे तो काना और शुभग्रह होवे तो सौम्य होता है ॥५-९॥
जिसके लग्नेश नवम भावमें स्थित होय वह बहुत भाइयोंवाला, पुण्यवान्, सम मित्रोंवाला, सुशील, धर्ममें प्रसिद्ध और तेजस्वी होता है । जिसके लग्नेश दशम भावमें स्थित होय वह राजासे लाभवाला, पंडित, श्रेष्ठ स्वभाववाला, गुरुजन और माताके पूजनमें बुद्धिवाला और राजाके पास प्रसिद्ध होता है । जिसके लग्नेश ग्यारहवें स्थानमें स्थित होय वह अच्छीतरहसे जीनेवाला, पुत्रसहित विख्यात, अधिकतेजकरके शोभायमान, बलवान् और वाहनकरके संयुक्त होता है । जिसके जन्मसमय लग्नेश बारहवें स्थानमें स्थित होवे वह कठोर कर्मका करनेवाला, दुष्ट और नीच गोत्रियोंके साथ मान करनेवाला, विदेशगमन करनेवाला और दे करके आप खानेवाला होता है ॥१०-१३॥
इति तनुभवनेशफलम् ।