जिसके त्रिंशांशकुंडलीमें जो ग्रह अपने उच्च राशिमें मित्रकी राशिमें सम राशिमें स्थित हों वे ग्रह संपूर्ण कार्य करनेवाले तथा उत्साह धर्म और पूज्य पदवीको देनेवाले होते हैं । जिसके त्रिंशांशमें, सतोगुणी, रजोगुणी, तमोगुणी इनमेंसे जिस ग्रहका प्रकाश हो उसके समान बलवाला सुरुपवाला और जाति कुल देशको जाननेवाला मनुष्य होता है । बृहस्पति, सूर्य और चन्द्रमा सतोगुणी, शुक्र और बुध रजोगुणी, शनैश्चर और मंगल तमोगुणी जानना और इसी प्रकार मनुष्योंके अपनी प्रकृति समान प्रकृतिको देते हैं ॥१-३॥