जिसके नवांशकुंडलीमें पांचवें चौथे मंगल बृहस्पति स्थित होय उसके एक तीन अथवा पांच पुत्र होते हैं और बुध शुक्र शनि हो तो दो, चार, छः वा सात पुत्र होते हैं । जिसके तीसरे स्थानमें सिंहराशि होय और सुतस्थानमें बृहस्पति और केतु होय, छठेमें शनैश्चर और सप्तममें सूर्य और गर्भमें राहु और दशममें भौम होय तो उस मनुष्यके सन्तानकी हानि होती है । जिसके क्रूर बारहवें भावका स्वामी नवमें, तीसरे अथवा बारहवें वा आठवेमें स्थित हो और केतु पंचम भावम स्थित होय तो उसके पुत्र उत्पन्न होकर मर जाते हैं । जितने ग्रह बलवान् होकर पंचम भावमें स्थित हों अथवा पंचम भावको देखते हों उतनेही सन्तान उत्पत्ति होती है. पुरुष ग्रहोंसे पुत्र वा चन्द्रमा शुक्र एवं बुधसे कन्या और शनिसे गर्भहानि जानै । ये सब नवांशकुण्डलीसे विचारना चाहिये, किसीका मत है कि, चन्द्रमासे भी विचारै ॥१-४॥