जिसके जन्मसमय सूर्य नीचराशि ( ७ ) का होवे वह पुष्ट दांतोंवाला सम शरीरवाला और जिसके जंघा हाथ और पैर मोटे हों और विवाहद्वारा स्त्री प्राप्तिके चित्तवाला होता है । जिसके चन्द्रमा नीचराशि ( ८ ) का होय वह नृत्य करनेवाला प्रलापी, वादक, मायावी तथा मायावीमनुष्योंकी संगतिवाला, दुष्टमतिवाला और संशयमें रत होता है । जिसके मंगल नीचराशि ( ४ ) का होय वह लक्ष्मीवाला बडे बलवाला स्थिर विभववाला बुद्धिमान् गुणका जाननेवाला चोर और दुष्टात्मा होता है । जिसके बुध नीचराशि ( १२ ) में होय वह अच्छी बुद्धिवाला और सुन्दर शीलवाली पतिव्रता श्रेष्ठस्त्रीवाला और सन्तति पुत्रसे विहीन होता है । जिसके बृहस्थति नीचराशि ( १० ) में होय वह सुन्दर स्त्री बहुत सोना पुण्य फलादिसे पूजित होता है और उसका मालिक देशान्तरमें रहता है ॥१-५॥
जिसके शुक्र नीचराशि ( ६ ) का होय वह बडा कौतुकी और विनोदी सभामें सदा सुन्दरवाक्य कहनेवाला बुद्धिमान् और राज्यकलामें प्रवीण होता है । जिसके शनैश्चर नीचराशि ( १ ) में होय वह शत्रुओंका नाश करनेवाला, पुष्टशरीरवाला तीक्ष्णाग्निवाला, शोभायमान देश ग्राम पुरादि पत्तन सहित बली साम्राज्य राज्यका, स्वामी, इच्छानुकूल आचारवाला, विचार करनेमें दक्ष, सुभग स्त्रीसौख्यकरके युक्त सदा जातिभाइयोंकरके संयुक्त होता है । जिसके नीचका राहु होय वह कुरुप खल और दुष्ट अधर्मी दुष्टबुद्धिवाला और अपने कुटुम्बपक्षकरके हीन होता है । जिसके पक्षवाल, दक्ष और कुशल होता है ॥६-९॥ इति नीचग्रहफलम् ॥