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अध्याय ३ - नवांशविधिमाह

मानसागरी - अध्याय ३ - नवांशविधिमाह

सृष्टीचमत्काराची कारणे समजून घेण्याची जिज्ञासा तृप्त करण्यासाठी प्राचीन भारतातील बुद्धिमान ऋषीमुनी, महर्षींनी नानाविध शास्त्रे जगाला उपलब्ध करून दिली आहेत, त्यापैकीच एक ज्योतिषशास्त्र होय.

The horoscope is a stylized map of the planets including sun and moon over a specific location at a particular moment in time, in the sky.

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अब नवांशक जाननेकी विधिको कहते हैं - मेष धनु और सिंह ( १।९।५ ) इन राशियोंमें आदि मेषका नवांश होता है और धनुराशिपर्यन्त रहता है, मकरका आदि देकर मकर कन्या और वृष इन राशियोंमें जानना । तथा तुला आदि लेकर तुला कुंभ और मिथुनमें गणना करना एवं कर्कराशिका नवांश आदिमें देकर कर्क, वृश्चिक और मीनराशियोंमें क्रमसे जानना एक राशिमें नौ नवांश भोग करते हैं और एकनवांश ३ तीन अंश २० कलाका होता है ॥१॥

उदाहरण - स्पष्टलग्न ००।११।१६।२० तो यहां मेषराशि है इस कारण आदिमें प्रथम मेषका नवांश ३।२० तक हुआ । फिर ३।२० से ६।४० तक वृषका हुआ एवं १०।०० अंशतक मिथुनका हुआ, १० से १३।२० तक कर्कका हुआ यहां ११।१६ अंशादि हैं तो यही कर्कके मध्यमें है, अतः कर्कका नवांश मेषादिगणनासे हुआ ॥

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Last Updated : April 07, 2009

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