अब नवांशक जाननेकी विधिको कहते हैं - मेष धनु और सिंह ( १।९।५ ) इन राशियोंमें आदि मेषका नवांश होता है और धनुराशिपर्यन्त रहता है, मकरका आदि देकर मकर कन्या और वृष इन राशियोंमें जानना । तथा तुला आदि लेकर तुला कुंभ और मिथुनमें गणना करना एवं कर्कराशिका नवांश आदिमें देकर कर्क, वृश्चिक और मीनराशियोंमें क्रमसे जानना एक राशिमें नौ नवांश भोग करते हैं और एकनवांश ३ तीन अंश २० कलाका होता है ॥१॥
उदाहरण - स्पष्टलग्न ००।११।१६।२० तो यहां मेषराशि है इस कारण आदिमें प्रथम मेषका नवांश ३।२० तक हुआ । फिर ३।२० से ६।४० तक वृषका हुआ एवं १०।०० अंशतक मिथुनका हुआ, १० से १३।२० तक कर्कका हुआ यहां ११।१६ अंशादि हैं तो यही कर्कके मध्यमें है, अतः कर्कका नवांश मेषादिगणनासे हुआ ॥