जिसके सतोगुणी ग्रह बली हों वह दयावान् स्थिरता - सत्यता - श्रेष्ठताकरके युक्त और देवता ब्राह्मणका भक्त होता है और जो रजोगुणी बली हों तो वह काव्य करनेवाला, कुलस्त्री, बहुत धनकरके युक्त और बडा शूर वीर होता है । तमोगुणी अधिक हो तो वह दूसरोंको छलनेवाला, मूर्ख, आलसी, क्रोधी और बहुत निद्रावाला होता है और गुणोंकरके मिश्र फल कहना चाहिये ॥१॥२॥ इति त्रिंशांशफलम् ॥
इति श्रीमानसागरीजन्मपत्रीपद्धतौ राजपंडितवंशीधरकृतभाषाटीकायां तृतीयोऽध्यायः ॥३॥