अर्शहरव्रत
( अनुष्ठान - प्रकाश ) - जो मनुष्य वेतन ३ लेकर अध्यापन, यजन, हवन या जपादि करते हैं, उनको अर्शरोग होता है । आयुवेंदमें इसको त्रिदोषजन्य और परम्परासे आनेवाला बतलाया है । इसकी निवृत्तिके लिये चान्द्रायणव्रत करे और उन दिनोंमें प्रतिदिन आठ या अट्ठाईस पाठ आदित्यह्रदयके करके शमीकी समिधा और घीसे हवन करे । इस प्रकार करनेसे अर्शरोग दूर होता है । एकभुक्त व्रत करना आवश्यक है ।
३. वेतनमादाय योऽधायपत्यर्चयति जुहोति जपति सोऽर्शो रोगवान् भवति ।