जलोदरहरव्रत
( मन्त्नमहार्णव ) - मिट्टी या भस्मसे माँजे हुए ताम्रादिके महापात्रको जलसे पूर्ण करके उसका पञ्चोपचार पूजन को और उसी जलसे शिवजीका सहस्त्रघटाभिषेक करे तथा सौ ब्राह्मणोको भोजन करावे । अथवा सोना, चाँदी, ताँबा और जलधेनुका दान करके गुड़, घी और गोधूमके पदार्थोंका एकभुक्त भोजन करे ।
सहस्त्रकलशस्त्रानं महादेवस्य कारयेत् ।
भोजयेच्च शत्तं विप्रान् मुच्यते किल्बिषात् ततः ॥ ( मन्त्नमहार्णव )