रोगत्रयोपशमनव्रत
( महाभारत ) - पूर्वोक्त श्वास, कास और कफसे मुक्त होनेके लिये वेदपाठी ब्राह्मणोंको बुलाकर उनसे शिवपूजनपूर्वक रुद्रपाठसहित सहस्रघटाभिषेक करावे और उसके समाप्त होनेपर पचास ब्राह्मणोंको उत्तम पदार्थोंका भोजन कराकर सबको समान रुपसे लाल १ वस्त्र और सुवर्ण दे । अथवा अच्युत २, अनन्त और गोविन्द - इन तीनों नामोंके तीस हजार आठ जप करे और सात्त्विक पदार्थोंको भगवानको अर्पण करके नक्तव्रत करे ।
१. हिरण्यं रक्तवासांसि पञ्चाशद्विप्रभोजनम् ।
सहस्त्रकलशस्त्रानं कुर्याद् रोगस्य शान्तये ॥ ( व्यास )
२. अच्युतानन्तगोविन्द्रत्येतत्रामत्रयं द्विज ।
अयुतत्रयसंख्याकं जपं कुर्याद्धि शान्तये ॥ ( शङ्खरगीता )