हिंदी सूची|व्रत|विशिष्ट व्रत|रोग हनन व्रत| यक्ष्मोत्पत्ति रोग हनन व्रत उपोदघात ज्वर की जानकारी पापसम्भूत ज्वरहरव्रत सर्वज्वरहरव्रत ज्वरहर बलिदानव्रत ज्वरहरर्पणव्रत ज्वरार्तिहरतन्त्नव्रत अतिसारहरव्रत संग्रहणीशमनव्रत अर्शहरव्रत अजीर्णहरव्रत मन्दाग्नि उपशमनव्रत विषूचिकोपशमनव्रत पाण्डुरोगप्रशनमव्रत रक्तपित्तोपशमनव्रत राजयक्ष्मोपशमनव्रत यक्षान्तक दानव्रत यक्ष्मोत्पत्ति यक्ष्मान्तक सानुष्ठान व्रत रोगत्रयोपशमनव्रत शूलरोगोपशमनव्रत गुल्मोपशमनव्रत उदरान्तरीय रोगोपशमनव्रत जलोदरहरव्रत प्लीहोदरहरव्रत उदरगुल्महरव्रत मून्नकृच्छ्रोपशमनव्रत मूत्रकृच्छ्रहरव्रत अश्मर्युपशमनव्रत प्रमेहरोगोपशमनव्रत श्वयथु रोगहरव्रत गण्डमालाशमनव्रत गलगण्डहरव्रत गण्डमालाशमनव्रत गलगण्डहरव्रत कुष्ठरोगोपशमनव्रत विभिन्न कुष्ठोपहरव्रत गजचर्महरव्रत दद्रुहरव्रत नेत्ररोगोपशमनव्रत नेत्रगतसर्वरोगोपशमनव्रत नेत्रादिसर्वरोगहरव्रत भगन्दरहरदानव्रत शीर्षव्रणहरव्रत शेफसव्रणहरव्रत सुतहीनत्वदोषहरव्रत वन्ध्यात्वहरगौरीव्रत सर्वव्याधिहरव्रत प्रसवपीडाहरव्रत रोग हनन व्रत - यक्ष्मोत्पत्ति व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : dayvratव्रत यक्ष्मोत्पत्ति Translation - भाषांतर यक्ष्मोत्पत्ति ( कालिकापुराण ) - क्षययक्ष्मा अथवा राजयक्ष्माके विषयमें कालिकापुराणकी कथाके श्रवण करनेसे अपूर्व लाभ होता है । कथा इस प्रकार है - ' दक्षप्रजापतिके सत्ताईस कन्याएँ थीं । उनका चन्द्रमाके साथ विवाह हुआ । उनमें एकका नाम रोहिणी था; औरोंकी अपेक्षा चन्द्रदेव उससे अधिक प्रसन्न रहते थे । यह देखकर अन्य पत्नियोंने पितासे प्रार्थना की । तब दक्षने चन्द्रदेवको समझाया कि आप सबके साथ समान स्नेह रखें किंतु चन्द्रमाने ऐसा नहीं किया । तब दक्षप्रजापति बड़े क्रोधित हुए और उनके क्रोधानलसे राजयक्ष्मा उत्पन्न होकर चन्द्रमाके शरीरमें प्रविष्ट हो गया । फिर क्या था, चन्द्रदेव प्रतिदिन क्षीण होने लगे और उनका विश्वव्यापी सुप्रकाश भी घट गया । चन्द्रमाकी इस क्षीणकाय अवस्थासे संसारकी हनि समझकर ब्रह्माजीने उनके शरीरसे यक्ष्माको निकाल लिया और आज्ञा दी कि ' जो लोग स्त्रीके साथ अधिक सहवास करें उनके शरीरमें तुम सुखसे रहो । वहाँ मृत्युकी पुत्री तृष्णा तुम्हारी आज्ञामें रहेगी । वह तुम्हारे ही समान गुणवाली है । अतः तुम जो चाहोगे वही कर सकेगी । इसके सिवा जो लोग श्वास, कास और कफके रोगी होकर भी स्त्रीके साथ सहवास रखें , उनके शरीरमें भी तुम प्रविष्ट रहो और उनको प्रतिक्षण क्षीण करते रहो । जाओ, तुम यथेच्छ विचरण करो । तुम्हारा यह काम स्थायी रहेगा ।' ऐसा ही हुआ और तब अधिक हो रहा है । N/A References : N/A Last Updated : January 16, 2012 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP