अश्मर्युपशमनव्रत
( मुक्तकसंग्रह ) - पूर्वजन्मके अगम्यागमनादि महापापोंके प्रभावसे अथवा वात, पित्त, कफ और शुक्रके विकृत होनेसे अश्मरीका आक्रमण होता है । उसके प्रतीकारके लिये ज्यौतिषशास्त्रोक्त शुभ मुहूर्तमें प्रातःस्त्रानादि नित्यकर्मसे निवृत्त होकर
' हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ॥'
इस मन्त्नका दस हजार बार जप करे और पलाश ( छीला ) की समिधा तथा घीसे इसी मन्त्रकी एक हजार आहुति दे तथा दूध पीकर रहते हुए ईश्वरका स्मरण करे ।