शीर्षव्रणहरव्रत
( सूर्यारुण १९१९ ) - जन्मात्नरमें नारिकेल ( नारियल या श्रीफलों ) के अपहरण करनेसे मुखमण्डलको शोभाहीन बनानेवाला शीर्षव्रण होता है । उसके निवारणके निमित्त शिवजीके मन्दिरमें जाकर उनका यथाविधि पूजन करे और नारियलका फल चढ़ावे । इसी प्रकार पार्वतीजीकी भी यथावत् पूजा करे । फिर हाथ जोड़कर
' यन्मया नारिकेलानि हत्वा पापमुपार्जितम् । अर्चितो भगवान् रुद्रो भवान्या भयभञ्जनः ॥
यथाशक्ति च दानाद्यैर्भवन्तोऽपि च पूजिताः । कर्मणानेन मे नाशमुपैतु शिरसो व्रणः ॥'
इस मन्त्रसे प्रार्थना करके फलाहार करे ।