हिंदी सूची|व्रत|विशिष्ट व्रत|रोग हनन व्रत| प्रमेहरोगोपशमनव्रत रोग हनन व्रत उपोदघात ज्वर की जानकारी पापसम्भूत ज्वरहरव्रत सर्वज्वरहरव्रत ज्वरहर बलिदानव्रत ज्वरहरर्पणव्रत ज्वरार्तिहरतन्त्नव्रत अतिसारहरव्रत संग्रहणीशमनव्रत अर्शहरव्रत अजीर्णहरव्रत मन्दाग्नि उपशमनव्रत विषूचिकोपशमनव्रत पाण्डुरोगप्रशनमव्रत रक्तपित्तोपशमनव्रत राजयक्ष्मोपशमनव्रत यक्षान्तक दानव्रत यक्ष्मोत्पत्ति यक्ष्मान्तक सानुष्ठान व्रत रोगत्रयोपशमनव्रत शूलरोगोपशमनव्रत गुल्मोपशमनव्रत उदरान्तरीय रोगोपशमनव्रत जलोदरहरव्रत प्लीहोदरहरव्रत उदरगुल्महरव्रत मून्नकृच्छ्रोपशमनव्रत मूत्रकृच्छ्रहरव्रत अश्मर्युपशमनव्रत प्रमेहरोगोपशमनव्रत श्वयथु रोगहरव्रत गण्डमालाशमनव्रत गलगण्डहरव्रत गण्डमालाशमनव्रत गलगण्डहरव्रत कुष्ठरोगोपशमनव्रत विभिन्न कुष्ठोपहरव्रत गजचर्महरव्रत दद्रुहरव्रत नेत्ररोगोपशमनव्रत नेत्रगतसर्वरोगोपशमनव्रत नेत्रादिसर्वरोगहरव्रत भगन्दरहरदानव्रत शीर्षव्रणहरव्रत शेफसव्रणहरव्रत सुतहीनत्वदोषहरव्रत वन्ध्यात्वहरगौरीव्रत सर्वव्याधिहरव्रत प्रसवपीडाहरव्रत रोग हनन व्रत - प्रमेहरोगोपशमनव्रत व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : dayvratव्रत प्रमेहरोगोपशमनव्रत Translation - भाषांतर प्रमेहरोगोपशमनव्रत ( अनु० प्रकाश ) - यह रोग अनेक प्रकारका होता है । धर्मशास्त्रोंके अनुसार किसी भी जन्ममें माता, सास, गुरुपत्नी, रानी तथा मित्र - मातामें गमन करनेसे ' मधुमेह ', भ्रातृभार्या ( भौजाई ) में गम करनेसे ' जलमेह ', भगिनीमें गमन करनेसे ' इक्षु ' ( रस ) मेह, अमा, पूर्णिमा या ग्रहणमें स्त्री - प्रसंग करने तथा कन्यामें गमन करनेसे ' बालमेह ', चाण्डाली या मेहतरी आदिमें गमन करनेसे ' व्याधिकर सर्वप्रमेह ' और तिर्यग्योनि - ( पशु आदि - ) में गमन करनेसे ' शूलप्रयुक्तप्रमेह ' होता है । आयुवेंदके अनुसार सुखकी उपस्थिति, सुखकी निद्रा, सुखप्रद ( स्त्री - प्रसङ्गकारी ) स्वप्र और दूध - दही या नवीन अन्न - जल खाने - पीने आदिसे प्रमेह होता है । इसकी निवृत्तिके लिये यथायोग्य - क्षुधा और तृषा ( भूखप्यास ) दोनों त्यागकर निराहार तीन उपवास, तीन यवमध्य, तीन चान्द्रायण तथा तीन कृच्छ्रचान्द्रायण, पुरुषसूक्त और सहस्त्रनामके पाठ करे और अधिक पाप ( या पाप और रोग दोनों ) हों तो प्रतिदिन ' या ते रुद्र० ' सूक्तसे घीकी एक हजार आहुति, सुवर्ण - धेनुका दान और चालीस ब्राह्मणोंको भोजन करावे । इससे सब प्रमेह शान्त होते हैं । आस्यासुखं स्वप्नसुखं दधीनि ग्राम्यौदकानूपरसाः पयांसि । नवान्नपानं गुडवैकृतं च प्रमेहहेतु .........॥ ( माधव ) N/A References : N/A Last Updated : January 16, 2012 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP